मंगलवार, 28 मई 2019

नाथूला और भूटान के परमिट की जद्दोजहद

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नाथूला और भूटान के परमिट की जद्दोजहद को मैं किसी जंग से कम नहीं मानता। कसम से युद्ध सा लडना पडता है, खासकर भूटान परमिट के लिए।
उत्तरी सिक्किम में नाथूला, छांगू झील, जुलूक की सर्पिलाकार सडकें और गुरूडोंगमार की ऐडवेंचरस जर्नी के लिए या तो आप सीधे ट्रैवल ऐजेंट से मिलकर गाडी कीजिये वरना खुद की बाइक ले जाइये। यदि आप खुद अपनी बाइक से नहीं जा रहे हैं तो वोटर कार्ड, ड्राइविंग लाईसेंस, और साथ में गाडी मालिक का नोटरी पब्लिक प्रमाणित आथोरिटी लैटर जरूर रखें। गंगटोक में सुबह 8 बजे से शाम 1 बजे तक फार्म भरिया और शाम को आपको परमीशन लैटर मिलेगा उसे बगल के ही पुलिस औफिस में जमा कराईये, तब आपको अगले दिन सुबह 7 बजे परमिट मिलेगा।
भूटान के लिए फुंशलिंग बौर्डर सिटी स्थित इमिग्रेशन औफिस में फार्म फिर अप करना होता है। यहां वोटर कार्ड या पासपोर्ट चलता है, आधार कार्ड या ड्राइविंग लाईसेंस नहीं चलता। दो फोटो चाहिए बस। फार्म जमा करने के बाद वैरीफाई के लिये लाईन लगाओ और फिर ऊपर फिंगर प्रिंट के लिए लाईन लगाओ और फिर मौहर सील के लिए लाईन लगाओ और फिर अधिकारी के साइन कराओ तब परमिट क्लीयर होगा। यदि बाइक परमिट भी चाहिए तो फिर आरटीओ औफिस जाओ और फिर लाईन लगाओ। भीड बहुत है। शाम 4 बजे तक ही काम होता है। एक दिन में परमिट मिलना संभव नहीं है। यहां से आपको केवल पारो और थिंपू के लिए परमिट मिलेगा। यदि आप और ऊपर मतलब बुमथांग पुन्ननाखा जाना चाहते हैं तो थिंपू औफिस से ही परमिट मिलेगा।
बाकी किसी अन्य जानकारी के लिए मैं आपको भूटान के नंबर उपलब्ध करा सकता हूँ। परमिट के लिए आपको कम से कम एक दिन की होटल बुकिंग अवश्य चाहिये। औनलाईन कर सकते हैं या फिर होटल वाले को फौन से कर सकते हैं। परमिट मिल चुका है, 100 रू की भूटानी सिम से पहली पोस्ट डाल रहा हूँ। बौर्डर के इस पार जयगांव में रुका हूं 600 रु में। बीयर 70 रू की है बस। 


बुधवार, 15 मई 2019

मिनी स्विट्ज़रलैंड से कम नही शांघड़

मिनी स्विट्ज़रलैंड से कम नही शांघड़ की दिलकश वादियों के नजारे ।
हिमाचल प्रदेश जिला कुल्लू की सैंज घाटी के शांघड़ को प्रकृति ने दिल खोलकर सौन्दर्य प्रदान किया है । विश्व धरोहर ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क भी इस क्षेत्र को अलग पहचान प्रदान करता है । यहां करीब 128 बीघा जमीन पर फैला विशाल मैदान चारों ओर देवदार के वृक्षों से घिरा हुआ है जो यहां की सुन्दरता को मनमोहक बनाता है । गर्मियों के मौसम में हरियाली और सर्दियों के मौसम में सफेद चादर ओढ़े इस मैदान की सुन्दरता सैलानियों को यहीं बसने के लिए प्रेरित करती है।यहाँ पर देवता शंगचुल का भव्य मंदिर भी है जो पहाड़ी वास्तुशिल्प का बेजोड़ नमूना है। इस विशाल भूखंड को मदाना के नाम से भी जाना जाता है। यह क्षेत्र प्राकृतिक सौन्दर्य, कला संस्कृति, पुरातन परम्पराओं और प्राकृतिक संसाधनों का भी खजाना है। यहां का चप्पा चप्पा बेमिसाल है कल-कल करते झरने, देवदार के वृक्षों की आगोश में बसे छोटे छोटे गाँव, मदाना से लपाह तक के नजारे जो कदम-कदम बदलते परिदृश्य सहज ही दर्शनीय एवं लुभावने लगते है। यहां के इस विशाल मैदान में कहीं पर भी कोई कंकड़, पत्थर, कूड़ा-कचरा और चट्टान आदि दिखाई नहीं देते है।इस लिए यहां पर मैदान की ढलानों में खेलना कूदना,दौड़ना भागना और घूमना फिरना एक अलग ही अनुभव प्रदान करता है। इस मैदान में स्थानीय लोगों के पशु घास चरते है जिस कारण यहां पूरे मैदान में घास की लंबाई लगभग एक समान रहती है। इस मैदान के अन्दर शराब पीना, टेंट लगाना और गन्दगी फैलाना निषेध है।
हिमाचल प्रदेश कुल्लु जिला के उप-मण्डल बंजार में स्थित ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क भारत के बहुत ही खूबसूरत नेशनल पार्कों मे से एक है। साल- 2014 मे यूनेस्को द्वारा इस ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क को विश्व धरोहर की सूचि मे शामिल किया गया है। इस पार्क का क्षेत्रफल 754.4 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है जो अद्वितीय प्राकृतिक सौन्दर्य और जैविक विविधिता का खज़ाना है। शांघड़ भी ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क के इको जॉन क्षेत्र के तहत आता है। यहाँ पर सैलानियों को घूमने फिरन के लिए कई मनोरम स्थल और ट्रैकिंग रूट्स उपलब्ध है। इस क्षेत्र के इको जॉन और कोर जॉन में 1 दिन से लेकर 15 दिन तक घूमने फिरने और ट्रैकिंग कैंपिंग का आनन्द लिया जा सकता है। यहां पर सैलानी मदाना ,वरसंघड़ झरना, सर्रा झील, पुंडरीक झील, गझाऊ थाच, थिनी थाच, लपाह,शकत्ती मरौर जैसे खूबसूरत स्थलों पर आसानी से पैदल सफर कर सकते है।यहां पर ठहरने के लिए वन विभाग का विश्राम गृह तथा कई निजी होमस्टे और कॉटेज भी उपलब्ध है। यहां तक दिल्ली, चंडीगड़, शिमला, कुल्लू मनाली, बंजार व तीर्थन घाटी की ओर से छोटे बड़े वाहनों द्वारा आसानी से पहुंचा जा सकता है।
शांघड़ जैसे खुबसूरत पर्यटन स्थल पर हर वर्ष सैलानियो की संख्या में इजाफा देखने को मिल रहा है और देसी विदेशी पर्यटक यहां आकर हसीन दिलकश शान्त वादियों में कुछ पल बिता कर यहां के प्राकृतिक सौंदर्य का भरपूर लुत्फ ले रहे है लेकिन कुछ सुविधाओं के अभाव में सैलानियों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। यहां के लिए सरकार द्वारा प्रधानमंत्री सडक योजना के तहत बस योग्य सड़क का निर्माण किया गया है परन्तु कच्ची सड़क होने के कारण यहाँ तक वाहन पहुंचाने में काफी कठिनाई का सामना करना पड़ता है। इसके इलावा यहाँ पर अभी तक सार्वजनिक शौचालय, शुद्ध पेयजल और कुड़ेदान जैसी सुविधा का भी अभाव है।
शांघड़ पहाड़ के शिखर पर बसा हुआ एक ऐसा खुबसूरत पड़ाव है जिसकी कीमत, महत्व और नजारा यहां कदम धरने पर ही महसुस किया जा सकता है सिर्फ जरूरत है इस अनमोल धरोहर को संजोए रखने की।

तीर्थन वैली 5 दिनों का पैकेज


पहला दिन: गुशैनी ... तीर्थन नदी के किनारे टैंट में रुकें...
दूसरा दिन: गुशैनी घूमेंगे... वाटरफाल घूमेंगे... बहुत लंबा-चौड़ा एरिया नहीं है... आपको अच्छा लगेगा, यह विश्वास है.....
तीसरा दिन: टैक्सी में बैठेंगे और जीभी की ओर चलेंगे... पहले चैहणी कोठी देखेंगे... फिर जीभी वाटरफाल देखेंगे... और शाम को घियागी में या तो होम-स्टे में रुकेंगे या टैंट में...
चौथा दिन: टैक्सी में बैठेंगे और सीधे जलोड़ी जोत जाएँगे... सेरोलसर झील का 5+5 किलोमीटर का ट्रैक करेंगे और दोपहर बाद तक घियागी लौट आएँगे... मौका लगा, तो सजवाड़ वाटरफाल भी देख लेंगे... मौका नहीं लगा, तो नहीं देखेंगे...
पाँचवाँ दिन: नाश्ते के बाद बायबाय, अलविदा कर देंगे... फिर आपको जहाँ जाना हो, वहाँ चले जाना...
खर्चा: 1 व्यक्ति: 10000 रुपये...
2 या 2 से ज्यादा व्यक्ति: 8000 रुपये प्रति व्यक्ति...
बच्चा (3-12 वर्ष): 5000 रुपये...
इसमें शामिल होंगे:
1. चार रात टैंट, कैंप या होम-स्टे में ठहरना...
2. 5 ब्रेकफास्ट और 4 डिनर
3. तीसरे दिन गुशैनी से घियागी तक और चौथे दिन जलोड़ी जोत आने-जाने के लिए टैक्सी...
4. वेरियस वाटर एक्टिविटी, जैसे कि ट्राउट फिशिंग आदि...
5. बोनफायर
6. गाइड
7. जी.एस.टी.
और शामिल नहीं होंगे...
1. पहले दिन गुशैनी आने और आखिरी दिन घियागी से लौटने के लिए ट्रांसपोर्ट खर्च...
2. लंच
3. कोई भी मेडिकल खर्च (अच्छा अस्पताल बंजार में है, जो गुशैनी से 10 किलोमीटर, जीभी से 8 किलोमीटर, घियागी से 10 किलोमीटर और जलोड़ी जोत से 20 किलोमीटर है)
4. कोई भी पर्सनल शॉपिंग
5. और जो खर्च ऊपर नहीं लिखा...
 किसी भी तरह की दारू, बीयर आदि पर सख्त प्रतिबंध रहेगा... पकड़े जाने पर आपको यात्रा से निष्कासित कर दिया जाएगा और कुछ भी रिफंड नहीं दिया जाएगा...
यदि आप अपने वाहन का प्रयोग करते हैं, तो आपके ग्रुप को 2000 रुपये का डिस्काउंट प्रदान किया जाएगा...
और आखिर में बचती है रिफंड पॉलिसी... जैसे ही आप एकाउंट में एमाउंट जमा करेंगे और अपनी सुविधानुसार डेट हमें बता देंगे, हम तुरंत आपके लिए कमरे बुक कर देंगे... क्योंकि जून यहाँ भी पीक सीजन होता है... तो इस प्रकार 50% एमाउंट आपको वापस नहीं मिलेगी... बाकी 50% एमाउंट आप ट्रिप शुरू होने से पहले कभी भी वापस ले सकते हैं... ट्रिप शुरू होने के बाद आपको कुछ भी रिफंड नहीं मिलेगा...
...
यह पाँच दिनों का कार्यक्रम इसलिए बनाया है, क्योंकि बहुत सारे मित्र पैकेज बनाने को कह रहे हैं... इसमें ट्रैकिंग बहुत कम है और आराम ज्यादा है... अगर आपको ट्रैकिंग करनी है, तो अनगिनत ट्रैक हैं यहाँ... और मुश्किल भी नहीं... आप लांभरी हिल का दो दिन का ट्रैक कर सकते हैं... सकीर्ण जोत का दो दिन का ट्रैक कर सकते हैं... बशलेव पास का दो दिन का ट्रैक है... रघुपुर फोर्ट से बाहु फोर्ट का एक दिन का ट्रैक है... जलोडी से सेरोलसर, लांभरी हिल, सकीर्ण होते हुए चैहणी कोठी का सर्कुलर ट्रैक है... जलोडी जोत से बशलेव पास का जंगल ट्रैक है... ये सभी ट्रैक अधिकतम 3600 मीटर तक के हैं... और ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क के भीतर भी अनगिनत ट्रैक हैं...
अगर आपको ट्रैकिंग करनी है, तो यह बात हमारे कान में डाल देना... हम आपको सारी जानकारी दे देंगे... और ऐसी जानकारी दे देंगे कि आप खुद कोई भी ट्रैक आसानी से कर सकोगे... और अगर पैकेज चाहिए, तो पैकेज बनाने में देर ही कितनी लगती है??... पैकेज बनेगा, तो मजे से चलेंगे टैंट-टूंट लेकर... और उधर ही कहीं जंगल में मंगल करेंगे...
और हाँ... अगर आपको टैंट या होम-स्टे में नहीं रुकना है, तो आपके लिए और अच्छे कमरों की व्यवस्था हो जाएगी... रिसोर्ट की व्यवस्था हो जाएगी... बस, पैसे कुछ ज्यादा लगेंगे... यह बात भी आप हमारे कान में डाल देना...
(गुशैनी कैसे पहुँचें... दिल्ली या चंडीगढ़ से जब मनाली की ओर चलते हैं, तो मंडी और कुल्लू के बीच में औट नामक कस्बा पड़ता है... यहीं से तीर्थन वैली का रास्ता अलग होता है... गुशैनी भी तीर्थन वैली के बहुत सारे गाँवों में से एक गाँव है... औट और कुल्लू से गुशैनी के लिए पूरे दिन लगभग हर आधे घंटे में बस सेवा है, जो औट से गुशैनी तक 2 घंटे लगाती है... दिल्ली से औट तक 12 घंटे लगते हैं और चंडीगढ़ से औट तक 7 घंटे... इस प्रकार दिल्ली से गुशैनी यानी तीर्थन वैली तक 14 घंटे लगेंगे और चंडीगढ़ से 9 घंटे... सर्वोत्तम यही है कि दिल्ली से औट तक ओवरनाइट बस से आइए... सुबह औट उतरकर दोपहर होने से पहले-पहले तीर्थन वैली पहुँच जाइए...)
अरे हाँ, फोन नंबर तो बताना भूल ही गया... 9456652435.. यही व्हाट्सएप नंबर भी है..

रविवार, 28 अप्रैल 2019

रामेश्वरम (तमिलनाडु) की यात्रा

रामेश्वरम (तमिलनाडु) की यात्रा
भाग--3
पिछले भाग में आपको मदुरै शहर और मीनाक्षी मंदिर की सैर कराई गइ थी अब चलते ह रामेश्वरम की और
रामेश्वरम जाने के लिए मदुरई जो तमिलनाडु का दूसरा सबसे बड़ा शहर है।उससे गुजरकर जाना होता है। रामेश्वरम के लिए भारत के सभी प्रमुख शहरों से डाइरेक्ट ट्रेन सुविधा उपलब्ध है।अगर आपके शहर से रामेश्वरम के लिए डायरेक्ट ट्रैन नहीं है, तो मदुरई जाने के लिए अवश्य होगी ही। मदुरई से रामेश्वरम ट्रैन से भी जा सकते है या बस से भी जा सकते हो।
रामेश्वरम यात्रा करने का अच्छा समय
सर्दियों के दिनों में रामेस्वरम का मौसम बहुत सुहाना होता है। नवम्बर से फेब्रुवारी के बिच की यात्रा काफी सुखद होगी।
रामेश्वरम में कहाँ रुके
1) रामेश्वरम मंदिर परिसर को लगाकर ही बहुत सारी प्राइवेट होटले है।
2) मंदिर परिसर में धर्मशाला भी है। मुफ्त में या नाममात्र शुल्क में कॉमन रूम मिलती है। एडवांस में बुक नहीं कर सकते। वक्त पर मिलने की कोई गारंटी नहीं।
3) रामेश्वर देवस्थान की रूम रू.500 उपलब्ध है।
देवस्थान की वेबसाइट पर जाकर ऑनलाइन एडवांस में तीन दिन पहले बुक कर सकत हो।
मदुरै से रामेश्वरम जाने के लिये शाम 6:10 मिनट पर हमारी ट्रेन थी,ठीक समय पर ट्रेन रवाना हो गई और रात 11:00 बजे ट्रेन ने हमे रामेश्वरम में उतार दिया,स्टेशन से मंदिर 2 किलोमीटर दूर ह,और यहाँ के सारे होटल 24 घंटे खुले रहत्ते ह ,और सब होटल और धर्मशाला मंदिर के चारो तरफ ही बने हुय ह,अब हमें रुकने के लिये ठिकाना ढूंढना था,जिसके लिये हम आभारी ह (आशीष जी जैन जी,जो हमारे साथ यक ग्रुप में जुड़े हुय ह )के जिन्होंने य पता चलने के बाद की हम रामेश्वरम जा रहे ह,उन्होंने हमें बताया कि आप गुजरती धर्मशाला में रुकना,और उस धर्मशाला का पता और फोन नं हमे भेज दिया एक बार फिर उनको धन्यवाद,य बहुत ही अच्छी धर्मशाला ह और मंदिर के बील्कुल पास में ह,यानि मंदिर और अग्नि तीर्थम के बीच में ह,यानि 300 कदम मंदिर से और 300 कदम ही अग्नि तीर्थम से दूरी ह,इस धर्मशाला का पता और फोन no म नीचे डाल दूंगा,आप लोग भी कभी जाये तो इसी धर्मशाला में रुके क्योकि यहाँ के सब स्टाफ हिंदी भासी ह और यहाँ कैंटीन ह जिसमे मात्र 70/- में बहुत ही अच्छा खाना मिलता ह बील्कुल सुद्ध और शाकाहारी,
दूसरी बात इस धर्मशाला की लोकेशन बहुत अच्छी जगह ह,2 मिंट की दुरी पर मंदिर ,और सबसे अच्छी बात यहाँ चैक इन उस समय से सुरु होता ह जब आप एंट्री करते हो जैसे हमने रात 12:00 बजे एंट्री की तो अगले रात 12:00 बजे तक 1दिन का पैसा लगता ह,यहाँ 400/- में डबल बेडरूम नान AC और 1100/-Ac रूम मिलता ह,
धर्मशाला का पता :-अग्नितिर्थम रोड रामेश्वरम
धर्मशाला का no ह 07424861206
तो हम सीधे धर्मशाला पहुंचे और नहा धोकर सो गये,
रामेश्वरम के सभी दर्शनीय स्थल देखने के लिए कितने दिन रामेश्वरम में 2 दिन रुकना होगा
रामेश्वरम शहर के बारे में
रामेश्वरम दिल्ली शहर से 2761 किलो मीटर की दुरी पर है। रामनाथपुरम जिले में स्थित है। हिंद महासागर और बंगाल की खाड़ी से चारो ओर घिरा हुआ शंख आकार का टापू है। पहले रामेश्वरम जाने के लिए नावों का इस्तेमाल किया जाता था। अंग्रेजोने जर्मन इंजीनियर की मदत से खाड़ी पर 2 किलो मीटर लम्बा रेल का पुल बनवाया जो आज भी रामेश्वरम जाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। जिसे पम्बन ब्रिज के नाम से जाना जाता ह,
रामेश्वरम की पौराणिक कथा
पौराणिक कथा अनुसार भगवान श्री राम ने लंका पर आक्रमण करके रावण को युद्ध में पराजित कर उसका वध किया था। सीता माता के साथ लौटते समय गंधमादन पर्वत पर विश्राम किया।वहाँ के ऋषि मुनियोंने श्री राम को बताया रावण ब्ररामण कुल का था। उन को ब्रंम्हहत्या का पाप लगा है। ब्रम्ह हत्या का पाप शिवलिंग की पूजा करने से ही दूर हो सकता है। भगवान श्री राम ने ऋषि मुनियोंने की बात मानकर हनुमानजी को शिवलिंग लाने के लिए कैलास पर्वत भेजा। हनुमानजी ने छलांग लगाई और कैलास पर्वत पहुंचे। शिवजी तपस्या में लीन थे। हनुमानजी इंतजार करते रहे कब शिवजी की आँखे खुलेगी। उधर शिवलिंग पूजा का मुहूर्त नजदीक आ रहा था। सभी हनुमानजी की प्रतीक्षा करने लगे। सीता माता चिन्तित हो गयी। पूजा का मुहूर्त निकल जाने की भय से सीता माताने रेत से ही शिवलिंग का निर्माण किया। श्रीराम जी ने सीतामाता निर्मित शिवलिंग की स्थापना मुहूर्त अनुसार की और शिवलिंग की पूजा की। और ब्रम्ह हत्या के दोष और पाप से मुक्त हो गये। थोड़ी देर में कैलास पर्वत से हनुमान जी शिवलिंग ले कर पहुंच गये। उन्होंने देखा शिवलिंग की स्थापना हो चुकी है। उनको बड़ा दुःख हुवा।हनुमानजी नाराज हो कर रूठ गये।श्रीराम ने हनुमान जी की नाराजगी को भाप लिया। श्रीराम ने उन्हें समझाने की बहुत कोशिश की लेकिन हनुमानजी मानने को तैयार नहीं थे। आखिर में रामजी ने हनुमानजी को कहाँ अगर उनके द्वारा स्थापित शिवलिंग हनुमान उखाड़ देंगे तो। हनुमानजी द्वारा कैलास पर्वत से लाये शिवलिंग की स्थापना कर दूंगा। हनुमानजी ने शिव लिंग उखाड़ने को अपनी पूरी शक्ति लगा दी। लेकिन हनुमानजी शिवलिंग को उखाड़ नहीं सके। अन्ततः मूर्छित हो कर गंधमादन पर्वत पर जा गिरे। होश आने पर हनुमानजी को अपनी गलती का अहसास हुआ। श्रीराम से उन्होंने क्षमा मांगी। भगवान श्रीराम ने हनुमानजी द्वारा लाये शिव लिंग को सीता माता द्वारा निर्मित
शिवलिंग के नजदीक ही स्थापित कर दिया।
रामेश्वरम का महात्म्य
रामेश्वरम चार धामों में से एक धाम है। और बारह ज्योतिर्लिंग में से एक ज्योतिर्लिंग है। रामेश्वरम को दक्षिण भारत की काशी माना जाता है। जो व्यक्ति गंगा जल से रामेश्वर शिव लिंग का सच्चे दिल से भक्तिपूर्वक अभिषेक और आराधना करता ह वह मोक्ष को प्राप्त होता ह ऐसा शास्त्रों में माना गया ह।
रामेश्वरम मंदिर की वास्तुकला
रामेश्वरम मंदिर 18 एकड़ में फैला हुवा है। द्रविड़ शैली से इसका निर्माण किया गया है। यह मंदिर तीन भागो में बना है। पूर्वी गोपुरम ,पच्छिमी गोपुरम,भीतर का गलियारा ओर बाहर का गलियारा । मंदिर के चारो ओर ऊंची दीवार बनी है। जिसकी पूर्व से पक्ष्चिम की लम्बाई 765 फिट है और उत्तर से दक्षिण की लम्बाई 686 फिट है। मंदिर के बाहर का गलियारा विश्व का सबसे लंबा गलियारा बना है। पांच फुट ऊंचे चबूतरे पर स्तंभ बने है।स्तंभ के आधार से छत बनी है। गलियारों की ऊंचाई 9 मी. और परकोटे की चौड़ाई 6 मी. है। लम्बाई पूर्व पच्छिम में 133 मी. और उत्तर दक्षिण में 127 मी. है। मंदिर के प्रवेश द्वार 37.5 मी. ऊंचा है। गलियारों में 1212 स्तंभ है। जो देखने में एक जैसे लगते है। बारीकी से देखने पर पता चलता है की हर एक स्तंभ की कारीगरी एक दूसरे से अलग है। हर एक स्तंभ पर शिल्प कला की अधभुत बेहतरीन कारीगरी की गयी है।
रामेश्वरम में तीर्थ का महत्त्व
रामेश्वरम द्वीप पर कुल 64 तीर्थ है। इनमे से 23 तीर्थ ही महत्वपूर्ण है।मुख्य अग्नि तीर्थ मंदिर से 100 मीटर की दुरी पर है और 22 तीर्थ मंदिर के भीतर ही है। इन तिर्थो में स्नान करने से पापोंसे और रोगोसे मुक्ति मिलती है और शरीर में नई ऊर्जा आजाती है ।
रामनाथस्वामी मंदिर दर्शन (यहाँ पर रामेश्वरम मंदिर को रामनाथस्वामी के नाम से जाना जाता ह)
रामनाथस्वामी मंदिर दर्शन करने से पहले क्या करना महत्त्व रखता है।
अग्नि तीर्थ में स्नान :- अग्नि तीर्थ
रामनाथस्वामी मंदिर से 100 मिटर की दुरी पर है। रामनाथ स्वामी मंदिर दर्शन करने से पहले अग्नि तीर्थ में स्नान करना महत्त्व रखता है। क्योकि श्री राम ने रावण का वध करने के बाद अग्नि तीर्थ में स्नान किया था। रावण के हत्या के पाप से उन्हें मुक्ति मिली थी।अग्नि तीर्थ में स्नान करने के बाद गीले वस्र के साथ रामनाथस्वामी मंदिर की ओर जाना है।
अग्नि तीर्थ सुमुंद्र का किनारा ह जहाँ भगवान राम के स्पर्श से समुन्द्र बील्कुल शांत हो गया ह आप आराम से बहुत दूर तक अंदर जाकर नहा सकते ह डूबने का बील्कुल खतरा नही ह ,कोई लहर नही कोई ज्यादा गहराई नही 500 मीटर अंदर तक तो म भी जाकर नहा के आया था
इस में नहाने के बाद ही आप मंदिर में प्रवेश कर सकते हो,
22 कुण्ड के पवित्र जल से स्नान
मंदिर के अन्दर के 22 कुण्ड के पवित्र जल से स्नान करना होगा।22 तीर्थ से स्नान करने के लिए टिकट लेना होगा मंदिर के बाहर टिकट काउंटर बना है।यहाँ हर एक कुंड के पवित्र जल से स्नान करने का अलग अलग महत्व है। बस इतना जान लीजिये यहाँ स्नान करने से पाप धूल जाते है। लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। रामनाथस्वामी के दर्शन का उसे अधिकार प्राप्त होता है।
25 /- का टिकट लेने के बाद आप अंदर जायँगे पूछने की जरूरत नही ह सारे कुंड पास पास ही बने हुय ह,हर कुंड पर मंदिर का 1 कर्मचारी खड़ा रहता ह वो 1 बाल्टी से पानी निकलता ह और आपके ऊपर डालता रहता ह ,हर कुंड के पानी का स्वाद अलग ह ,कोई मीठा, कोई खारा कोई गर्म कोई बहुत ही ठंडा,बहुत से लोग 22 कुंड के पानी को घर भी लेकर आते ह,कोसिस करे आप मंदिर में दोपहर में जाये तो बील्कुल भीड़ नही रहती ह,अगर आप सुबह में जायँगे तो बहुत भीड़ रहती ह ,
मुख्य रामनाथस्वामी मंदिर में प्रवेश :-
गीले वस्र बदल कर मुख्य मंदिर में प्रवेश करे। भीतर का दृश्य देख कर आपकी आँखे फटी की फटी रह जाएगी। बड़े बड़े पत्थर के सकडो स्तंभ उस पर देवी देवता के शिल्प बने है। भारतीय वास्तु कला का अद्भुत नमूना यहाँ देखने को मिलेगा।यहाँ दो शिव लिंग स्थापित है। हनुमानजी द्वारा कैलास पर्वत से लाया शिव लिंग ओर सीता द्वारा निर्मित रेत का शिव लिंग। सबसे पहले हनुमानजी द्वारा लाये शिव लिंग का दर्शन करले। श्री राम ने हनुमाजी को वरदान दिया था।हनुमानजी द्वारा लाये शिव लिंग का दर्शन करने के बाद ही सीता माता द्वारा निर्मित शिव लिंग का दर्शन करने से ही रामेश्वरम की यात्रा पूर्ण होगी। मंदिर के भीतर अनेक मंदिर है पार्वती माता मंदिर ,अम्बिका माता मंदिर , हनुमान मंदिर ,विसालाक्षी मंदिर के निकट नौ ज्योतिर्लिंग है ,जो विभीषण द्वारा स्थापित किये थे।
(म फिर वही बात दोहराना चाहूँगा की अपना धयान भटकने नही दे क्योंकि शिवलिंग के चारो और लाइट की रोशनी नही ह सिर्फ दीपक जलाकर रखे गये ह उन्ही की रोशनी में दर्शन होते ह,)
अब म आपको एक और दर्शन के बारे में बताना चहता हूँ जिसका नाम ह मणि दर्शन जो सुबह 5:00 से 6:00 तक ही होते ह इसके लिये आपको नहाने की जरूरत नही होती ह लेकिन आप होटल से नहाकर ही जाये तो सही रहता ह,इसके लिये सुबह 4:30 से ही लाइन लगनी सुरु हो जाती ह और मणि दर्शन का शुल्क 50/- एक आदमी का ह,अब म आपको बता दु की य कोई नागमणि नही ह सिर्फ स्फटिक का शिवलिंग ह जिसको य लोग मेज पर रख कर इसका दर्शन कराते ह,इसके बारे में बताते ह की य शिवलिंग आदि शंकराचार्य ने भेंट किया था,मुझे तो य पैसे कमाने का जरिया लगा 80% लोगो को पता ही नही था कि मणि दर्शन क्या ह,देखने के बाद पता चला,
आज के लिये इतना ही कल आपको यहाँ के कुछ और दर्शन्य जगहों की सैर करायँगे ,
अगले भाग में फिर मिलेंगे
तब तक के लिये राम राम

शुक्रवार, 26 अप्रैल 2019

शिमला के लिए ट्रेन रेड़ी

सुबह वाली हिमलायन क्वीन पकड़िये। पोसिबल हो सके तो सराय रोहिल्ला स्टेशन से पकड़िये। ये ट्रेन आपको 11 ः30 बजे तक कालका स्टेशन पर उतार देगी। आगे तुरन्त शिमला के लिए ट्रेन रेड़ी मिलेगी।

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